साइबराबाद पुलिस ने 850 करोड़ के पोंजी स्कीम मामले में दो गिरफ्तार, 6,000 निवेशकों को ठगने का आरोप
हैदराबाद, 16 फरवरी (पीटीआई): साइबराबाद पुलिस ने फाल्कन इनवॉइस डिस्काउंटिंग प्लेटफॉर्म से जुड़े 850 करोड़ रुपये के पोंजी स्कीम मामले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इस घोटाले में देशभर के 6,000 से अधिक निवेशकों को ठगे जाने का आरोप है। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने लोगों को अल्पकालिक निवेश के बहाने ऊंचे रिटर्न का लालच देकर फंसाया।
कैसे काम करती थी स्कीम?
मुख्य आरोपी अमरदीप कुमार (एमडी, फाल्कन कैपिटल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड), आर्यन सिंह (सीओओ) और योगेंद्र सिंह (सीईओ) ने एक मोबाइल ऐप और वेबसाइट के जरिए खुद को वैध पीयर-टू-पीयर इनवॉइस डिस्काउंटिंग सेवा बताया। हालांकि, पुलिस का दावा है कि उन्होंने नकली वेंडर प्रोफाइल और डील बनाकर निवेशकों को बरगलाया। कुल 1,700 करोड़ रुपये जमा किए गए, जिनमें से 850 करोड़ निवेशकों को लौटाए गए, जबकि शेष 850 करोड़ रुपये 6,979 लोगों के पास अटके हैं।
गिरफ्तारी और जांच
आर्थिक अपराध विंग (ईओडब्ल्यू) ने 15 फरवरी को पवन कुमार (फाल्कन के बिजनेस हेड) और काव्या एन (कैपिटल प्रोटेक्शन फोर्स की डायरेक्टर) को गिरफ्तार किया। 19 आरोपियों में से अब तक दो ही पकड़े गए हैं, जबकि अन्य फरार हैं। डीसीपी के. प्रसाद ने बताया, “यह स्कीम 2021 से चल रही थी। नए निवेशकों के पैसे से पुरानों को रिटर्न दिया जाता था। फंड को क्रिप्टोकरेंसी, रियल एस्टेट और शेल कंपनियों में डायवर्ट किया गया।”
निवेशकों को झांसा
आरोपियों ने 11-22% सालाना रिटर्न का वादा किया था, जिसमें निवेश 25,000 रुपये से 9 लाख रुपये तक और मैच्योरिटी 45-180 दिनों की थी। 15 जनवरी 2025 को स्कीम ढह गई, और हैदराबाद स्थित कार्यालय बंद कर दिया गया। पुलिस ने बीएनएस और तेलंगाना राज्य वित्तीय प्रतिष्ठान अधिनियम, 1999 के तहत मामला दर्ज किया है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस फंड की वसूली और अन्य जुड़े लोगों की पहचान में जुटी है। घोटाले की जटिलता को देखते हुए साइबर विशेषज्ञों की टीम भी जांच में शामिल की गई है।